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What is LOVE? भक्ति क्या है?
भक्ति क्या है। भगवान से प्रेम करना, उन्हें अपना सबसे प्रिय मानना। केवल मुहं से कहने से काम नहीं चलेगा। क्योंकि भगवान अंतर्यामी हैं वे हमारे मन की बात जानते हैं। इसलिये इस बात से सावधान रहें कि भक्ति में दिखावा नहीं रहता।
संसार के लोग अल्पज्ञ हैं इसलिये हमें अपने प्यार का दिखावा करना पड़ता है। बार-बार मुँह से कहना पडता हे-आई लव यू। पर भगवान को हमारे शब्द नहीं हमारा मन चाहिये।
हम अपने जीवन में यह देखते हैं कि अधिकाँश पंडित कर्मकाण्ड करवाते हैं और यही करना से सिखाते भी हैं। यह पूजा कर लो, इतना पाठ कर लो, यह मंत्र जप कर लो। पर यह भक्ति नहीं है। जब ताक आप अपने प्रिय प्रभु का स्मरण कर आँखों से आँसू नहीं बहाते आपकी भक्ति पूर्ण नहीं।
संसार में हमारे किसी अपने जन का छोटा सा एक्सीडेंट होने पर, या दूर विदेश से उसका 10दिन तक फोन न आने पर हमारे प्राण छटपटा जाते हैं,आँखों में आँसू भर आते हैं उसकी याद करके। क्या एसी कोई फीलिंग अपने भगवान के लिये हुई। नहीं । तो यह जान लीजिये कि आपने प्रेम किया ही नहीं, भक्ति की ही नहीं।
उनसे प्रेम करना, उनके गुणों का गुणगान करना, उनसे मिलन की लालसा बढाना ही भक्ति है। इसके लिये आपको किसी वास्तविक क्षोत्रीय ब्रह्मनिष्ठ गुरु की शरण ग्रहण करनी होगी। वही आपको भक्ति का वास्तविक मर्म बता सकता है।
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