Story of Parijat Tree and flower. Why parijat is famous for?

 

पारिजात वृक्ष की कथा -Parijaat Tree -Parijaat Flower- 
Why Parijaat flower is famous for?
पारिजात का वृक्ष कहाँ है और क्यों प्रसिद्ध है?

History of Parijaat Tree


पारिजात का वृक्ष एक अत्यन्त शुभ और मांगलिक वृक्ष है जिसका उल्लेख हमारे पुराणों में भी पाया जाता है।

पारिजात का वृक्ष एक अति सुन्दर और इच्छापूर्ति करने वाला वृक्ष माना जाता है । कहते हैं पारिजात का पेड़ समुद्र मंथन से उत्तपन्न हुआ था जो केवल स्वर्ग में स्वर्ग के अधिपति इन्द्र के व्यक्तिगत बाग-नन्दन वन में स्थापित है। इसकी दिव्य सुगन्ध एवं गुणों की चर्चाएँ समस्त लोक में व्याप्त हैं।

पारिजात वृक्ष को धरती पर लाने का श्रेय भगवान श्रीकृष्ण को जाता है।

इस वृक्ष से जुड़ी एक सुन्दर कथा 

Story of Parijaat Flower and Shri Krishna - SatyaBhamaa
How did Parijaat came to earth from Heaven

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद ऋषि इन्द्रलोक से इस वृक्ष के कुछ फूल लेकर कृष्ण के पास गए और श्रीकृष्ण को वे सुन्दर पुष्प अर्पित किये। श्रीकृष्ण ने वे पुष्प रुक्मणि जी को दिये। यह देखकर सत्यभामा ईर्ष्या से भर गईं और कृष्ण से जिद करने लगीं कि उन्हें परिजात का दिव्य वृक्ष चाहिए। परिजात का वृक्ष देवलोक में था, इसलिए कृष्ण ने उनसे कहा कि वे इन्द्र से आग्रह कर वृक्ष उन्हें ला देंगे।

कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ इन्द्रलोक आए। पहले तो इन्द्र ने यह वृक्ष सौंपने से मना कर दिया किन्तु उन्हे युद्ध करना पड़ा और अंतत: उन्हें यह वृक्ष देना ही पड़ा। जब कृष्ण परिजात का वृक्ष ले जा रहे थे तब देवराज इन्द्र ने वृक्ष को यह श्राप दे दिया कि इस पेड़ के फूल दिन में नहीं खिलेंगे।

सत्यभामा की जिद की वजह से कृष्ण परिजात के पेड़ को धरती पर ले आए और सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया। लेकिन सत्यभामा को सबक सिखाने के लिए उन्होंने कुछ ऐसा किया कि वृक्ष लगा तो सत्यभामा की वाटिका में था लेकिन इसके फूल रुक्मिणी की वाटिका में गिरते थे।

इस तरह सत्यभामा को वृक्ष तो मिला लेकिन फूल रुक्मिणी को ही प्राप्त होते थे। यही वजह है कि परिजात के फूल, अपने वृक्ष से बहुत दूर जाकर गिरते हैं।

Scientific Name of Parijaat flower

पारिजात को हरसिंगार, रात की रानी, शेफाली, शिउली आदि नामों से भी जाना जाता है. इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है और अंग्रेजी में इसे नाइट जैस्मीन कहते हैं।

इस पारिजात पुष्प में अनेक औषधीय गुण पाये जाते हैं। 

Parijat Tree                                                                                

ऐतिहासिक पारिजात का वृक्ष भारत में


उत्तर प्रदेश राज्य (भारत) के बाराबंकी जिला अंतर्गत किन्तूर ग्राम में स्थित पारिजात का वृक्ष है। भारत सरकार द्वारा संरक्षित यह वृक्ष सांस्कृतिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। लोकमत इसका संबंध महाभारतकालीन घटनाओं से जोड़ता है।
पारिजात वृक्ष किन्तूर
माना जाता है कि किन्तूर गांव का नाम पाण्डवों की माता कुन्ती के नाम पर है। जब धृतराष्ट्र ने पाण्डु पुत्रों को अज्ञातवास दिया तो पांडवों ने अपनी माता कुन्ती के साथ यहां के वन में निवास किया था। इसी अवधि में ग्राम किन्तूर में कुंतेश्वर महादेव की स्थापना हुयी थी। भगवान शिव की पूजा करने के लिए माता कुंती ने स्वर्ग से पारिजात पुष्प लाये जाने की इच्छा जाहिर की। अपनी माता की इच्छानुसार अर्जुन ने स्वर्ग से इस वृक्ष को लेकर यहां स्थापित कर दिया

Parijaat Tree

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