नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम्
वह व्यक्ति जिसकी मैं जिंदगी भर आभारी रहूँगी...
उसे इंसान कहूँ या फरिश्ता। वे एसे व्यक्ति हैं जिन्होंने मेरी जिंदगी में बड़ी उलट-पुलट कर दी। मेरे जीवन को देखने का नजरिया ही बदल दिया। मैं केवल इस जीवन ही नहीं अनन्त काल तक उनकी आभारी रहूँगी जिन्होंने मुझे वह बात बताई जिसे मैं शायद अनादि काल से ढूँढ रही थी। उस आनन्द को पाने की राह।
पहले मेरा लिये जीवन का अर्थ, मात्र खाना-पीना,घूमना-फिरना, पैसे कमाना-पैसे लुटाना। पर फिर मालूम हुआ इसी का नाम जिंदगी नहीं है। और मैने भी अपने अनुभव से जाना कि मैं जो भी कर रही हूँ उसमें कोई स्थायी सुख तो मिलता नहीं। इसी समय जब मेरे मन में यह मंथन चल रहा था उनका शुभागमन हुआ। उनकी वाणी सुनकर मेरे सारे संशय और शंकायें समाप्त हो गईँ और मन में एक दृढ निश्चय कर लिया कि अब यह जीवन उनकी ही बताई राह पर चलना है उनके ही आदेशों का पालन करना है।
और वह अनमोल व्यक्तित्व हैं- मेरे गुरुदेव।
श्री गुरुदेव कर्म योग एवं कर्म सन्यास के आदर्श रूप हैं। एक गृहस्थ संत के रूप में वे जगत को कर्मयोग की शिक्षा देते हैं और अपने जगद् गुरु रूप में वे अधिकारी जीव को कर्म सन्यास का आदर्श स्थापित करते हैं।
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