यह त्याग तो करना ही होगा यदि हम अपनों को अपना बना कर रखना चाहते हैं।
किन्तु सदा याद रखें परिश्रम भी एक सीमा तक किया जाना चाहिये और उम्मीदवार देखकर किया जाना चाहिये। अन्यथा आपका परिश्रम आपके लिये बोझ बन जायेगा।
और आप सुख पाने की चाह में दुख के गहरे अंधेरे में जूब जायेंगे।
क्योंकि पत्थर पर प्रेम और त्याग के फूल भी अँकुरित नहीं होते।
और कुछ बीज बंजर में भी अंकुरित हो जाते हैं।
प्रेम बाँटो तो प्रेम मिलेगा...
Comments
Post a Comment